हम ध्यान क्यों करें ?

ध्यान ही परम धर्म है, ध्यान ही परम शुद्धि है। इसलिए मनुष्य को ध्यान परायण होना चाहिए। प्रति दिन ध्यान करने से जो लाभ प्राप्त होते हैं वे निम्नलिखित हैं :-
(१) ध्यान करने वाले मनुष्य के प्राण वायु की दिशा ऊर्ध्व अर्थात ऊपर की ओर हो जाती है जिससे मृत्यु के समय जीव को शरीर का त्याग करते समय कोई कष्ट नहीं होता है। सामान्य मनुष्य को मृत्यु के समय शरीर का त्याग करते वक्त इतनी पीड़ा होती है जैसे हजार बिच्छु एक साथ डंक मार दिए हों।
(२) इस लोक में और परलोक में मनुष्य के लिए जो कुछ दुर्लभ है, जो मन से सोचा भी नहीं जासकता है, वह सब बिना मांगे ही ध्यान करने वालों को मिल जाता है।
(३) पाप करने वालों की शुद्धिकरण हेतु ध्यान के समान कोई और अन्य दूसरा साधन नहीं है।
(४) ध्यान पुनर्जन्म देने वाले कारणों को भष्म करने वाली योगाग्नि है।
(५) दुःख – सागर को पार करने के लिए ध्यान ही सर्वोत्तम साधन है। इससे अच्छा साधन कुच्छ भी नहीं है। (more…)

मरने के बाद क्या होगा ?

मृत्यु बहुत ही खराब चीज होती है। मृत्यु का भय सभी को है। चाहे वह गरीब हो या अमीर, बलवान हो या निर्बल, नास्तिक हो आस्तिक, पंडित हो या काजी। मृत्यु के आगे किसी का भी वश नहीं चलता है। जब मृत्यु का समय आता है तब किसी को भी पता नहीं चलता है कि वह कब आया और जीव को कहाँ ले गया ? इसके आने का कोई निश्चित समय नहीं होता है। वह बहुत ही बलवान है, वह बहुत ही सामर्थ्यवान है। वह सबके बीच में से जीव को बलपूर्वक उठा कर इस प्रकार ले जाता है कि किसी को भी यह पता नहीं चल पाता कि वह जीव को कहाँ ले गया ? उसके आगे सभी घुटना टेक देता है। (more…)

मनुष्य के साथ ईश्वर की प्रतिज्ञा

ईश्वर धरती पर अवतार लेकर अपने नए नाम कल्कि नाम से आए। उन्होंने मनुष्य से प्रतिज्ञा किया कि मैं तुम्हें वो हर चीज दूंगा जो तुम्हारे लिए परम हितकारक है। वह परम हितकारक चीज क्या है जिसके लिए परमेश्वर ने मनुष्य से वादा किया है :-
(१) निश्चित ही मैं तुम्हारी वीमारी और दुःख को दूर किया करूंगा ।
(२) निश्चित ही मैं तुम्हें मुक्ति का मार्ग बताऊँगा क्योंकि मैं तुम में से हर एक से बहुत प्यार करता हूँ ।
(३) इस संसार में तुम्हें बहुत से कष्ट आएंगे परन्तु वे तुम्हें नुक्सान नहीं पहुंचाएंगे ; क्योंकि मैंने संसार को जीत लिया है।
(४) मत डर क्योंकि तेरी आशा फिर नहीं टूटेगी। मत घबरा क्योंकि तू फिर लज्जित न होगा और तुझपर स्याही न छायेगी। (more…)

अनंत जीवन का वरदान

प्रत्येक मनुष्य को मृत्यु से डर लगता है। वह मरना नहीं चाहता है। क्योंकि शरीर से प्राण निकलने वक्त इतना असहनीय पीड़ा होती है जिसका तुलना १००० बिच्छू के एक साथ डंक मारने से किया गया है। किसी भी जतन से या किसी भी ट्रिक से डर का भय नष्ट नहीं हो सकता है । जो जन्म लिया उसकी मृत्यु निश्चित है। कोई भी मनुष्य अपने आपको मृत्यु से नहीं बचा सकता। परन्तु इस धरती पर केवल एक ही हैं जो हम सबको मृत्यु से बचा सकते हैं। इस धरती पर केवल एक ही हैं जो हम सबको मृत्यु के भय से बचा सकते हैं। वह कोई और नहीं बल्कि ईश्वर हैं जो भारत के पुण्य भूमि पर कल्किनाम से अवतार लेकर आये हैं। (more…)

प्रार्थना में पूर्ण विश्वास ईश्वर के आशीष का बरसात लाएगा

ईश्वर ने मनुष्य को संकट एवं परेशानियों में डालने के लिए नहीं रचा। उसने संसार में अनेक चीजों को रचा और उनको बरतने के लिए मनुष्य के आधीन कर दिया ताकि मनुष्य आराम से रहे। जैसे ही ईश्वर ने देखा कि मनुष्य को दुख , परेशानियों एवं आँशुओं की वादियों से होकर गुजरना पर रहा है वैसे ही उसने अपने आपको मनुष्य रूप में रचकर नए नाम से धरती पर आया। वे आपको परेशानी एवं आंशुओं में सने नहीं देख सकते। वे आपको आनंद एवं शान्ति देने के लिए बुला रहे हैं। वे जानते हैं कि आज आपके जीवन में कर्ज अशांति परेशानी वीमारी गरीबी इत्यादि भयंकर विषैला कोबरा साँप बनकर डस रहा है और आपके जीवन में भय उतपन्न कर दिया है। (more…)