आशीष की बरसात

ईश्वर का सामर्थ्य अनन्त है। ईश्वर की शक्ति अनन्त है। ईश्वर आपके आँसुओ को पोछने के लिए तैयार हैं। ईश्वर आपके दुखो को मिटने के लिए तैयार हैं। ईश्वर आपके परेशानिओ को मिटाने के लिए तैयार हैं। ईश्वर आपको बिमारियों से बचाने के लिए तैयार हैं। इसके लिए आपको जरूरत है ईश्वर के नाम का जप एवं संकीर्तन करने की। यदि आप ऐसा करते हैं तो ईश्वर से
आप जो कुछ भी मांगेगे वो आपको देंगे। ईश्वर ने आपको परेशानियों में पड़ा देखने के लिए नहीं रचा। उन्होंने बहुत सारी चीज़ इसलिए रचा ताकि वह वस्तु आपको मिले और आप सुखी रहें। (more…)

ईश्वर की योजना

ईश्वर बादलों के साथ धरती पर आ रहे हैं और प्रत्येक मनुष्य की आँख उनको देखेगा। ईश्वर ने देखा कि मनुष्य का हृदय बहुत कमजोर है और वह चिंता और दुख को जन्म देता है। वह शांति, सहनशक्ति और खुशी को खो दिया करता है। यही कारण है कि ईश्वर ने लोगों के लिए योजना बनाया और उनके साथ अनेक वादा किए । मनुष्य केवल अपने बीते हुए दिनों को जनता हैं। उसको न तो वर्तमान मालुम है और न भविष्य। यदि वह अपने जीवन के लिए कोई योजना बनाता है तो वह कभी भी सफल नहीं हो सकता है। ईश्वर भूत भविष्य और वर्तमानं तीनों को जानते हैं। यदि ईश्वर आपके जीवन के लिए योजना बनाएंगे तो वह अवश्य ही आपसे अच्छा होगा और वह अवश्य ही सफल होगा। इसलिए प्रत्येक मनुष्य को ईश्वर की प्राथर्ना उस समय करनी चाहिए जिस समय ईश्वर आपकी प्राथर्ना को सुन सकें। क्या आप जानते हैं कि ईश्वर आपकी प्राथर्ना को किस समय सुनेंगे? ब्रह्म मुहूर्त में। अर्थात प्रातः ४ से ६ वजे के बीच में। ईश्वर ने कहा कि यदि तुम ऐसा करोगे तब मैं तुम्हें मार्गदर्शन करूंगा और उपदेश दूंगा कि तुमको किस दिशा व किस मार्ग में चलना होगा। (more…)

आज ईश्वर आपको क्या देना चाहते हैं

ईश्वर ने देखा कि मनुष्य का हृदय बहुत ही कमजोर है और उसका हृदय हमेसा ही चिंता , दुख और मानसिक तनाव को जन्म देता है। इसलिए ईश्वर ने यह फैसला किया कि मनुष्य ने जितना कुछ खोया है उसका मैं दूना दूंगा। इस उद्देश को पूरा करने के लिए ईश्वर ने माया को अपने अधीन कर अपने को एक साधारण मनुष्य के रूप में रचा और कल्कि नाम से धरती पर आया। राधा जी के प्रार्थना को सुनकर ईश्वर मथुरा-वृन्दावन के बोर्डर पर स्थित संभलग्राम में अवतार लेकर आए। उनके अवतार लेने का दूसरा उद्द्येश देवताओं तथा एवं पवित्र लोगों को सुरक्षा प्रदान करना दुष्ट एवं पापियों को नाश करना भी है। वह ईश्वर बैशाख मॉस के शुक्ल पक्ष द्वादशी तिथि को विष्णुयश के घर अवतार लेकर आये। ईश्वर आपको वास्तविक चीज देना चाहते हैं जिसका विनाश न हो और आपके पापों को क्षमा कर देना चाहते हैं। वे आपको सुरक्षा प्रदान करना चाहते हैं तथा जो चीज आपने खो दिया उस चीज को दूगु ना मात्रा में देना चाहते हैं। परन्तु आप ईश्वर में विश्वास रखिये और ईश्वर के विश्वास योग्य बनिए। क्योंकि एक सच्चे मनुष्य पर बहुत से आशीर्वाद बरसते रहते हैं। (more…)

Five sound arose in five Brahm while the Super Soul came down into the body

ANAMI                           – AADI SAT – GODSELF

AGAM                             – KARYA BRAHM

ALAKH                            – VAIKUNTH

(1) DHVANYATMAK AUM  – SAT LOK ———————————- VEENA / BAG PIPE

(2) SOHAM BRAHM           – BHRAWAR GUPHA  ——————  FLUTE

MAHA SUNN                —————————————–                SILENCE

SUNN                           —————————————–                 SILENCE

(3) RA RAM BRAHM                                      – DASAM DWAR —- SARANGI / / SITAR

(4) MAYA   BRAHM / ONKAR                       – TRIKUTI            —– THUNDER / DRUM / TAAL

(5) OM BRAHM      –  JYOTI NIRANJAN         – SAHASRAAR   —— BELL, CONCH

SAHAS – DAL – KANWAL

THIRD TIL / THIRD EYE

 

 

 

 

 

 

 

 

AGYA CHAKRA / AJNA CHAKRA / JUNCTION OF IDA, PINGLA & SUSHUMNA

THROAT CHAKRA

HEART CHAKRA

NAVEL CHAKRA

LING / GENITAL CHAKRA

RECTUM – ROOT CHAKRA

Complete Faith on God brings Miracle

As the man became disobedient and he did not follow the God’s commandments, sorrow, problems and fear entered into his life. Due to fear, he could not eat the fruit of life. Thus death came into his life. He began to die and got rebirth again and again. It was a question for him ” how will he manage all these problems? because death is very painful for all.” He became helpless. He became worried and his life became stressful. He lost his peace and found no solution for it. Seeing him nervous and joyless, Lord came down on this Indian soil with the new name of Kalki in a Brahmin family in Mathura city in Uttar Pradesh of North India in the first half of 1985 i.e. Baisakh Shukla (more…)