Prayer Of Lord Kalki
The Lord Kalki is greatly concerned about all of us. He is concerned about our personal and family lives as well. He cares for our present life and future too should be made good. So must not be worried. Lord Kalki is not only cares for us, but hears our prayers and also answers them. That is why I, Son Of God Arun gave you a word of advise to cast our burden on the Lord Kalki. As the Lord Kalki Himself cares for us and takes away our burden and sorrows. How blessed we are to have a such a wonderful God! The Lord Kalki lovingly calls us to Himself as “Come to Me, all you who labor and are heavy laden, and I will give you rest”. The Bible says that the Lord hears our prayer (Bible, Psalm 65:2). I am sure that the Lord is hearing our prayers.
He will never ignore our prayers and petitions that we offer unto Him because Lord Kalki has promised in His Word that He will not cast out those who come to Him. So, let us offer our petitions unto Him in faith. Give your attention to my word – you may not pay heed to us. Even close relatives or friends may not show interest in listening to what we say; our desires may be ignored but, the Lord keenly listens to our prayers. He will never turn His face from us (Bible, Psalm 22:24). We can pour out our anxiety, heart’s desires at His feet whenever we want because He is near us. Bible, Psalm 145:18 prophesied “The LORD is near to all who call on Him, to all who call on Him in truth.” This is the reason all of us should offer all prayers to Lord kalki alone. Thus all of us must sing in every morning prayer :
PRAYER
Dear Lord Narayana ! Bhagwan shri Kalki,
We have fallen soles,
We have committed so many sins and so many offences,
Please forgive us for that.
We have surrendered completely in your lotus feet, in your name,
Bhagwan Shri Kalki.
We request you to take away all our sins, all our Karma, Karmas of our fore father,
and fills by your spirit, fill us with Maha Shanti.
Please breake off all the Witchcraft and drive off all evil spirits.
Thank you Lord.
प्रार्थना
हे नारायण ! भगवान श्री कल्कि,
केवल आप ही पवित्र हैं ! पवित्र हैं ! पवित्र हैं !
केवल आप ही अविनाशी हैं ! केवल आप ही अविनाशी हैं ! केवल आप ही अविनाशी हैं !
केवल आप ही हैं , जो आदि महा बलिदान के द्वारा हम सबको मृत्यु से छुटकारा दिलाया !
केवल आपकी ही कृपा हर हमेशा हम सब पर बानी रहे !
हे ईश्वर ! केवल आप ही पवित्र हैं । केवल आप ही अविनाशी हैं । केवल आप ही हैं जो हम सबको मृत्यु से छुटकारा दिलाया । आप के समना तीनों लोक में कोई भी नहीं है । फिर आपसे कोई बड़ा कैसे हो सकता है ? हम सभी आपके ही अंश हैं । आपकी किरणें हम सब पड़ रही है। आप जरा रोग से मुक्त हैं, इसलिए हमें भी जरा रोग से मुक्त कर दीजिये । आप जन्म और मृत्यु से मुक्त हैं, इसलिए हमें भी जन्म और मृत्यु से मुक्त कर दीजिये । आप बुढ़ापा से मुक्त हैं, इसलिए हमें भी बुढ़ापा से मुक्त कर दीजिये । आप सभी प्रकार के रोगों से मुक्त हैं, इसलिए हमें भी सभी प्रकार के रोगों से मुक्त कर दीजिये । आप सभी प्रकार के संकटों एवं पड़ेशानियों से मुक्त हैं, इसलिए हमें भी सभी प्रकार के संकटों एवं पड़ेशानियों से मुक्त कर दीजिये ।
हे ईश्वर ! मैं आपके उपदेश को कभी नहीं भूलूंगा क्योंकि उन्हीं के द्वारा आपने मुझको जिलाया है । हे ईश्वर ! मैंने पूरे मन से आपको स्वीकार किया है तथा मैं पूरे मन से आपके शरण में आया हूँ । मैंने पूरे मन से आपके वचनों के अनुसार चलने का निश्चय किया है । आपकी करुणा पृथ्वी में भरी हुई है। आप मुझे अपनी विधियाँ सीखा दीजिये । हे ईश्वर ! मैं आपकी व्यवस्था में प्रीति रखता हूँ । मैंने अपने पाँव को हर एक बुरे रास्ते से रोक रखा हूँ जिससे कि मैं आपके वचन के अनुसार चलूँ । मैं आपके रास्ते से नहीं हटा क्योंकि आप ही ने मुझे शिक्षा दी है । आपका वचन मेरे मुँह में मधु से भी अधिक मीठा लगता है । आपका वचन मेरे पाँव के लिए दीपक और मेरे मार्ग के लिए उजियाला है। मैंने शपथ खाई है और ठाना भी है कि मैं आपके धर्ममय नियमों के अनुसार चलूँगा । मेरी आँखें आपसे उद्धार पाने और आपके धर्ममय वचन पूरे होने के लिए बाट जोहते हैं। इस कारण मैं आपकी आज्ञाओं को सोने से भी अधिक वरन कुंदन से भी अधिक प्रिय मानता हूँ । यदि मैं भोर की किरणों पर चढ़ कर समुद्र के पार जा बढ़ूँ तो वहाँ भी आप अपने हाथ से अगवाई करना और अपने दाहिने हाथ से मुझको पकड़े रहना । हे ईश्वर ! मैं आपके नाम की स्तुति सदा सर्वदा करता रहूंगा क्योंकि मैंने केवल आप पर ही भरोसा रखा है । हे ईश्वर ! जिस मार्ग पर मुझको चलना है उसको आप बता दीजिये । हे ईश्वर ! आपका धर्म अति महान है । आप ने जितने महान कार्य किये हैं , हे ईश्वर आपके समान कौन है ? हे ईश्वर ! बुढ़ापे के समय मेरा त्याग न करना । जब मेरा बल घटे तब मुझे छोड़ न देना। मैं ब्रह्म मुहूर्त में उठा करूंगा । मैं आपका भजन गया करूँगा । मैं आपका जयजयकार किया करूँगा और मैं आपके धर्म की चर्चा दिन भर किया करूँगा । हे ईश्वर ! मैं आपका शरणागत हूँ । मुझे संकट से छुड़ा और मेरा उद्धार कर। हे ईश्वर ! मैं आपके सामार्थ्य का यश गाऊंगा और भोर को सूरज उगने से पहले आपकी करुणा का जयजयकार किया करूँगा।