कलियुग में भारत के पुण्य भूमि पर 16 नए धाम की स्थापना

हे मनुष्य ! वर्ष 2023 में ईश्वर पुत्र आदिश्री अरुण पूरे विश्व के कल्याण के लिए बड़ा ही कठिन कामों को सफलता पूर्वक किया । इस कार्य को पूरा होने में बहुत ही बाधायें आई , चाहे वह स्वास्थ्य सम्बन्धी हो या धन सम्बन्धी हो ; चाहे वह कलि पुरुष की दुष्ट शक्तियां हो या फिर सांसारिक लोगों के दूषित विचार । रास्ते के सभी ठोकरों , अड़चनों और चैलेंजों को पार करते हुए जिस काम को संपन्न किया उसका नाम है 16 धाम का जमीन और 16 धामों के जमीन पर धाम की शक्तियों को स्थापित करना और उस धाम में भगवान कल्कि जी का झंडा लहराया जाना ।

सत्य युग में भगवान विष्णु ने अवतार लिया और लोगों के कल्याण लिए सत्य युग में सबसे पहले उत्तर दिशा उत्तराखंड में केवल एक धाम बना जिसका नाम है बद्री नाथ धाम । त्रेता युग में भगवान विष्णु ने फिर अवतार लिया और लोगों के कल्याण लिए दक्षिण दिशा तमिलनाडू में केवल एक ही धाम बना जिसका नाम है रामेश्वरम । द्वापर युग में भगवान विष्णु ने फिर अवतार लिया और लोगों के कल्याण लिए पश्चिम दिशा गुजरात में केवल एक ही धाम बना जिसका नाम है द्वारकाधीश । कलियुग में जब भगवान कृष्ण धरती छोड़ कर चले गए तब लोगों के कल्याण के लिए पूरब दिशा उड़ीसा में केवल एक धाम बना जिसका नाम है जगन्नाथ पूरी ।

परन्तु दुर्भाग्य पूर्ण बात यह है कि लोगों का कल्याण करने वाले धाम कलियुग के अंत के अंत समय में बद्री नाथ धाम को भूकंप में नष्ट होजाना है, शेष तीन धाम – रामेश्वरम, जगन्नाथ पूरी तथा द्वारकाधीश को सुनामी अथवा जल में डूब कर नष्ट हो जाना है । इसलिए ईश्वर पुत्र आदिश्री अरुण ने इन धामों में से शक्तियों को उठाकर दिल्ली में स्थित नारायणा गृह में ले आये और उसे सुरक्षित रखा । वर्ष 2023 में लोगों के कल्याण के लिए विराट पुरुष 23 वां अवतार के रूप में ईश्वार पुत्र आदिश्री अरुण नाम से धरती पर आये और उत्तर दिशा में चार स्थान – आजमगढ़, राम नगर – अवधपुर, रायबरेली, कानपुर – बीघापुर में अलग-अलग चार-चार धाम बनाया तथा धाम के उस शक्तियों को 16 धामों में स्थापित किया।

सम्पूर्ण मानव जाति के लिए यह बहुत ही आश्चर्यजनक बात है कि सत्य युग, त्रेता युग, द्वापर युग तथा कलियुग इस चारो युगों में केवल एक – एक धाम की स्थापना हुई लेकिन पहली बार विराट पुरुष के 23वें महा अवतार जिनको ईश्वर पुत्र आदिश्री अरुण नाम से जाना जाता है, उन्होंने लोगों के कल्याण के लिए कलियुग के अंत समय में 16 धामों की स्थापना किया ।